शुक्रवार 27 अप्रैल को भी जारी रहा विश्वविद्यालय छात्रसंघ पर चल रहा क्रमिक अनशन।
अकादमिक जस्टिस संयुक्त संघर्ष मोर्चा समिति के तत्वावधान में जारी आंदोलन का आज 23 वा दिन था यद्यपि एमएचआरडी और यूजीसी ने तथा सरकार की तरफ से एसएलपी दायर कर दी गई है किंतु संबंधित मामलों में अभी तक कोई संतोषजनक और प्रभावशाली परिणाम सामने नहीं आया है आज के आंदोलन में डॉ के के यादव ने कहां कि सरकार विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय के मुद्दों पर बिल्कुल निष्क्रिय रुख अख्तियार कर के बैठी है क्योंकि उन्हें लगता है की यहां वोट की राजनीति को सक्सेसफुल नहीं बना सकते ऐसा इसलिए है क्योंकि बौद्धिक वर्ग जान चुका है कि उसकी बुनियादी आवश्यकता के लिए वर्तमान सरकार ध्यान नहीं दे रही है। सिर्फ और सिर्फ जुमलेबाजी ही विगत 4 सालों में देखने को मिला है। डॉ अजय अहिरवार ने बताया कि जब पुरानी व्यवस्था लागू थी उस वक्त भी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में ब्राह्मणवादी तंत्र अपनी कुटिलता से बाज नहीं आता था और पिछड़ा वर्ग तथा दलित वर्ग की सीटों को खाली छोड़ दिया जाता था और कहा जाता था कि कोई योग्य प्रतिभागी ना मिलने के कारण ऐसा किया गया तो ऐसी स्थिति में जब हमारी सीट ही नहीं रहेगी तो हमें जनरल कैट...