क्रमिक अनशन के सातवें दिन छात्र संगठनों ने यूजीसी और एमएचआरडी का पुतला दहन किया
आज क्रमिक अनशन के सातवें दिन आधुनिक भारत के निर्माता और वंचितों के मसीहा महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती पर उन्हें शत शत नमन करते हुए उनके विचारों के बारे में व्याख्यान दिया गया। एडवोकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अजीत भास्कर ने कहा कि आज हम यह प्रतिज्ञा लेते हैं कि जब तक महात्मा फुले के समतामूलक समाज के सपने को पूरा नहीं किया आएगा तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।
अमरजीत चक्रवर्ती ने कहा कि ज्योतिबा फुले के सपने को बाबासाहेब आंबेडकर ने आगे बढ़ाते हुए समतामूलक समाज स्थापित करने के लिए संविधान में आरक्षण व्यवस्था प्रदान की है परंतु केंद्रीय सरकार न केवल आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करना चाहती है बल्कि बाबासाहेब के बनाए हुए संविधान को भी खत्म कर देना चाहती है।
छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश कुमार यादव ने कहा कि ugc का 5 मार्च का सर्कुलर एक ऐसे भारत की कल्पना करता है जिसमें एससी एसटी और ओबीसी के नव युवकों को नौकरी नहीं दी जाएगी और उन्हें पकौडे की दुकान ही लगानी पड़ेगी।
स्कॉलर्स फ़ॉर रिप्रजेंटेशन के समन्वयक रंजीत कुमार सरोज ने कहा कि रोस्टर प्रणाली का सिद्धांत कितना घातक है कि अभी हाल ही में कई उच्च शिक्षा संस्थानों में विज्ञापित पदों में 40 से उससे अधिक पदों पर भी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है और आगे चलकर इसी सिद्धांत को गैर शैक्षणिक पदों जैसे आईएएस, पीसीएस, लोअर सबार्डिनेट इत्यादि में भी लागू किया जाएगा। उदाहरण के लिए IPS के अंतर्गत कई विभाग बनाकर प्रत्येक विभाग पर आरक्षण लागू होगा तो एक भी आरक्षित सीट नहीं होगी। उदाहरण के लिए अभी हाल ही में इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक में विज्ञापित किए गए 52 समस्त पदों में से एक भी पद आरक्षित नहीं था।
रंजीत सरोज ने कहा कि इलाहाबाद सहित सभी विश्वविद्यालयों में भर्तियों में बड़ी तेजी दिखाई जा रही है आखिर यह तेजी पहले क्यों नहीं दिखाई गई जबकि 5 मार्च के आरक्षण रोस्टर के विरुद्ध सरकार इसी सप्ताह एक एसएलपी दायर करने जा रही है जिससे संविधान द्वारा प्रदत्त ओबीसी एससी एसटी के प्रतिनिधित्व को पुनर्स्थापित किया जा सके। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब निम्नलिखित मांगे न मान ली जाए:
1. UGC के 5 मार्च 2018 को जारी किए गए सर्कुलर को तुरंत निरस्त करें।
2.सर्वप्रथम बैकलॉग की सीटों को विज्ञापित किया जाए और उन पर नियुक्तियां की जाएं ।
3. भारत के सभी विश्वविद्यालयों में 5 मार्च के UGC के सर्कुलर के अनुसार वर्तमान में चल रही असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की भर्तियों पर तत्काल रोक लगा दी जाए ।
4. इसके लिए केंद्र सरकार संसद में एक बिल पेश कर आरक्षण पर एक अधिनियम बनाएं। उ.प्र. विधान सभा भी ऐक्ट बनाए।
5.अधिनियम बनने तक केंद्र सरकार और उ.प्र. .सरकार एक अध्यादेश जारी करें जिसमें यह प्रावधान हो शैक्षणिक संस्थानों को पूर्व की भांति संस्थान को यूनिट मानकर आरक्षण रोस्टर किया जाएगा।
आज के क्रमिक अनशन में रंजीत कुमार सरोज अवनीश कुमार यादव अध्यक्ष अमरजीत चक्रवर्ती अनिरुद्ध कुमार सिंह अजय अहिरवार प्रदीप रावत अजय कुमार अल्तमस चंद्रभूषण भारती पंकज चौधरी राघवेंद्र यादव अविनाश विद्यार्थी अनुपम यादव दीपू रजनीश कुमार दिनेश चौधरी रविंद्र कुमार विजय कुमार वीरेंद्र प्रताप शाही चंदन यादव श्याम जीत यादव सौरव शर्मा अजय यादव रजनीश कुमार गोविंद निषाद सुशील कुमार यादव सुधांशु सिंह देवेंद्र नाथ गिरी आदि उपस्थित थे।
अमरजीत चक्रवर्ती ने कहा कि ज्योतिबा फुले के सपने को बाबासाहेब आंबेडकर ने आगे बढ़ाते हुए समतामूलक समाज स्थापित करने के लिए संविधान में आरक्षण व्यवस्था प्रदान की है परंतु केंद्रीय सरकार न केवल आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करना चाहती है बल्कि बाबासाहेब के बनाए हुए संविधान को भी खत्म कर देना चाहती है।
छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश कुमार यादव ने कहा कि ugc का 5 मार्च का सर्कुलर एक ऐसे भारत की कल्पना करता है जिसमें एससी एसटी और ओबीसी के नव युवकों को नौकरी नहीं दी जाएगी और उन्हें पकौडे की दुकान ही लगानी पड़ेगी।
स्कॉलर्स फ़ॉर रिप्रजेंटेशन के समन्वयक रंजीत कुमार सरोज ने कहा कि रोस्टर प्रणाली का सिद्धांत कितना घातक है कि अभी हाल ही में कई उच्च शिक्षा संस्थानों में विज्ञापित पदों में 40 से उससे अधिक पदों पर भी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है और आगे चलकर इसी सिद्धांत को गैर शैक्षणिक पदों जैसे आईएएस, पीसीएस, लोअर सबार्डिनेट इत्यादि में भी लागू किया जाएगा। उदाहरण के लिए IPS के अंतर्गत कई विभाग बनाकर प्रत्येक विभाग पर आरक्षण लागू होगा तो एक भी आरक्षित सीट नहीं होगी। उदाहरण के लिए अभी हाल ही में इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक में विज्ञापित किए गए 52 समस्त पदों में से एक भी पद आरक्षित नहीं था।
रंजीत सरोज ने कहा कि इलाहाबाद सहित सभी विश्वविद्यालयों में भर्तियों में बड़ी तेजी दिखाई जा रही है आखिर यह तेजी पहले क्यों नहीं दिखाई गई जबकि 5 मार्च के आरक्षण रोस्टर के विरुद्ध सरकार इसी सप्ताह एक एसएलपी दायर करने जा रही है जिससे संविधान द्वारा प्रदत्त ओबीसी एससी एसटी के प्रतिनिधित्व को पुनर्स्थापित किया जा सके। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब निम्नलिखित मांगे न मान ली जाए:
1. UGC के 5 मार्च 2018 को जारी किए गए सर्कुलर को तुरंत निरस्त करें।
2.सर्वप्रथम बैकलॉग की सीटों को विज्ञापित किया जाए और उन पर नियुक्तियां की जाएं ।
3. भारत के सभी विश्वविद्यालयों में 5 मार्च के UGC के सर्कुलर के अनुसार वर्तमान में चल रही असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की भर्तियों पर तत्काल रोक लगा दी जाए ।
4. इसके लिए केंद्र सरकार संसद में एक बिल पेश कर आरक्षण पर एक अधिनियम बनाएं। उ.प्र. विधान सभा भी ऐक्ट बनाए।
5.अधिनियम बनने तक केंद्र सरकार और उ.प्र. .सरकार एक अध्यादेश जारी करें जिसमें यह प्रावधान हो शैक्षणिक संस्थानों को पूर्व की भांति संस्थान को यूनिट मानकर आरक्षण रोस्टर किया जाएगा।
आज के क्रमिक अनशन में रंजीत कुमार सरोज अवनीश कुमार यादव अध्यक्ष अमरजीत चक्रवर्ती अनिरुद्ध कुमार सिंह अजय अहिरवार प्रदीप रावत अजय कुमार अल्तमस चंद्रभूषण भारती पंकज चौधरी राघवेंद्र यादव अविनाश विद्यार्थी अनुपम यादव दीपू रजनीश कुमार दिनेश चौधरी रविंद्र कुमार विजय कुमार वीरेंद्र प्रताप शाही चंदन यादव श्याम जीत यादव सौरव शर्मा अजय यादव रजनीश कुमार गोविंद निषाद सुशील कुमार यादव सुधांशु सिंह देवेंद्र नाथ गिरी आदि उपस्थित थे।
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