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Showing posts from March, 2018

करेली थाना प्रभारी पर FIR और सस्पेंड करने के लिए विश्वविद्यालय छात्रों द्वारा SSP ऑफिस का घेराव

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 22 मार्च इलाहाबाद कल जेएनयू के छात्र भरत मणि चौधरी को करेली थाना अध्यक्ष द्वारा बुरी तरह से पीटापीटे जाने की घटना अत्यंत निंदनीय है भरत मणि को रात भर  गिरफ्तार करके थाने में रखा गया जातिगत गालियां दी गई जेएनयू से पीएचडी करने की नाते उसे देशद्रोही भी करार दिया गया छात्र के आंखों पर और उसके पूरे बदन पर घाव के निशान मौजूद हैं । कल रात जब छात्र श्री चौधरी को छुड़ाने के लिए थाने पहुंचे तो प्रभारी महोदय वहां से कहीं चले गए और मौके पर ड्यूटी कर रहा कांस्टेबल यह कहता रहा कि साहब दौरे पर गए हैं बिना साहब के कुछ भी नहीं हो सकता । छात्रों ने काफी देर तक इंतजार किया परंतु थाना अध्यक्ष सर्वेश सिंह थाने पर  नहीं आया आज सुबह भरत मणि को कचहरी इलाहाबाद से जमानत मिल गई उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र SSP ऑफिस की को घेरने के लिए निकले SSP ऑफिस पहुंचने पर पता चला कि SSP साहब कहीं बाहर गए हैं छात्रों का गुस्सा देख उनके जूनियर मौके पर आए और उन्होंने ज्ञापन  लिया और यह आश्वासन दिया कि स्थानीय सीओ से जांच कराई करा कर के थाना प्रभारी पर FIR की जाएगी और जांच के बाद सस्पेंड भ...

जेएनयू से शोधरत इलाहाबाद के पूर्व छात्र को यूपी पुलिस ने बेवजह बुरी तरह पीटा भेजा जेल

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इलाहाबाद शहर के  करैली थाना के थानाध्यक्ष सर्वेश सिंह ने JNU के छात्र को नक्सली और देशद्रोही का आरोप लगाकर पुलिस थाने में बुरी तरह पिटाई की। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(JNU) के संस्कृत विभाग के शोध छात्र भरतमणी चौधरी  अपने शोध कार्य हेतु इलाहाबाद आये हुऐ थे ।(आप को बता दे कि भरतमणि पूर्व छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय रह चुके है।) जहां कल दिनांक 21/3/2018 को शाम 6 बजे करैली थाना क्षेत्र में अपने शोध सम्बंधित कार्यों हेतु गये हुए थे जहां थानाध्यक्ष सर्वेश सिंह आये और खड़े होने का कारण पूछा जब भरत ने अपना परिचय  शोध छात्र JNU के रूप में दिया तो सर्वेश सिंह आग बबूला होकर नक्सली और देशद्रोही कहकर गाली गलौज करने लगें जब भरत ने इसका विरोध किया तो उसे पकड़कर थाने ले जाकर बुरी तरह से पीटा और भरत का पूरा नाम सुनते ही जातिसूचक गालियां देने लगें और धारा 151,107,116 लगाकर उसे जेल भेज दिया। इस घटना के संदर्भ में  विश्वविद्यालय के समस्त छात्रों से अपील है कि  कल इलाहाबाद छात्र संघ भवन पर  11  बजे एकजुट होकर पुलिस प्रशासन की तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद ...

" बीएचयू में यूजीसी और एमएचआरडी के खिलाफ शोध छात्रों का प्रोटेस्ट"

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 आज बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी  के शोध छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय में प्रोटेस्ट किया गया और UGC के फरमान को सिरे से नकार दिया गया क्योंकि यह एक जन विरोधी फैसला है जिससे संबंधित समुदाय का कोई भी छात्र भविष्य में असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन पाएगा उनका प्रोफेसर बनने का सपना कभी भी साकार नहीं हो सकता ऐसा इसलिए होगा क्योंकि जब नियुक्तियों में आरक्षित सीटें होती थी तब भी किसी न किसी  बहाने से   उसे नहीं भरा जाता था और  सीट होने पर भी हमारी नियुक्ति नहीं हो पा रही थी  हमारी सीट को  बैकलॉग में डाल दिया जाता था तो सामान्य सीट पर हमें नियुक्ति  मिल पाना असंभव है। छात्रों ने कहा  की यूजीसी सर्कुलर 2018 को तुरंत निरस्त किया जाए और पूर्ववत चल रही व्यवस्था को तब तक रखा जाए जब तक इस पर कोई एक्ट नहीं बन जाता। शोध छात्रों में यूजीसी के इस निर्णय से बहुत रोष व्याप्त है । वह तब तक प्रोटेस्ट करेंगे जब तक यूजीसी  अपने निर्णय को वापस नहीं ले लेता। भारत की लगभग सभी विश्वविद्यालयों में यूजीसी के इस फरमान के खिलाफ प्रोटेस्ट चल रहा है परंतु अभी ...

आरक्षण को खत्म करने की वर्तमान संघी सरकार की कोशिश :एक समीक्षा

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ये है आरक्षण खत्म करने का तरीका UGC ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कहे अनुसार 5 मार्च को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण के रोस्टर को विभागवार लागू करने का आदेश दिया है. यानी अब संस्था को एक इकाई मानने के बजाय विभाग को इकाई माना जाएगा और विभाग में जब आरक्षित श्रेणी की बारी आएगी, तभी संबंधित श्रेणी के लिए एक पोस्ट आरक्षित हो पाएगी. विभाग को इकाई मानकर 13 पॉइंट रोस्टर लागू करना आरक्षण व्यवस्था की हत्या जैसा है. इसको इस प्रकार समझिए- कल्पना कीजिए कि किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के कुल 200 पद हैं. संविधान प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था के अनुसार उनमें से 56 पद (27%) ओबीसी के लिए, 30 पद (15%) अनुसूचित जाति के लिए और 15 पद (7.5%) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होने चाहिए. अभी तक जारी रोस्टर (200 पॉइंट) पद्धति के अनुसार ऊपर दी गई संख्या के आसपास सीटें विभिन्न श्रेणियों की बन जाती थी. संबंधित कॉलेज/विश्वविद्यालय भले ही बहाने बनाकर उन्हें पूरा नहीं भरते थे, लेकिन सीटें तो उतनी ही बन...

" यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पुतला जलाया "

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आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन के सामने स्टूडेंट फॉर रिप्रजेंटेशन के बैनर तले शोध छात्रों ने यूजीसी और एमएचआरडी का पुतला जलाया।  क्या है मामला ? यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार नियुक्तियों में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग तथा विकलांगों को अभी तक विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय को इकाई मानकर नियुक्ति में आरक्षण दिया जाता था जिसे यूजीसी में परिवर्तित कर विभाग को इकाई मानकर नियुक्ति करने का फरमान जारी किया है इससे इन सभी संवर्गों का उच्च शिक्षा में भारत सरकार द्वारा दिए गए आरक्षित प्रतिशत से बहुत कम हो जाएगा यह इसलिए होगा  क्योंकि नई व्यवस्था के अंतर्गत विभागों में रिक्तियों की संख्या बहुत कम चार या पांच ही होती है कम से कम 4 पद होने पर ओबीसी, 7 पद होने पर एस सी ,15 पद होने पर एस टी और 33 पद होने पर विकलांगों का पद आरक्षित होगा और साधारणत: विभागों में इतनी रिक्तियां होती ही नहीं है अतः इस व्यवस्था में क्रमश: विकलांग आदिवासी दलित पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अभ्यर्थियों को सबसे अधिक नुकसान होगा। ज्ञातव्य हो कि इन वर्गों के बैकलॉग पद न भरने से वर्ष 2016...

स्कालर्स फार रिप्रजेंटेशन 16 मार्च को छात्रसंघ भवन पर यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पुतला दहन करेगा

आज कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय किया गया है कि 16 मार्च को 12 बजे छात्र संघ भवन के सामने यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पुतला दहन किया जायेगा और अनिश्चित कालीन धरना द...

यूजीसी सर्कुलर 2018 का शोध छात्रों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन

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इलाहाबाद ,14 मार्च को बालसन चौराहे की गांधी प्रतिमा के सामने स्टूडेंट फॉर रिप्रजेंटेशन  तथा तथा एडवोकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में  इस शासनादेश को  जनविरोधी  करार देते हुए  UGC सर्कुलर  तथा  नेट /  जेआरएफ  की  प्रतियों को जलाया गया । @ क्या है मामला ?? :- यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार  नियुक्तियों में  अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति  अन्य पिछड़ा वर्ग  और विकलांगों को  अभी तक  विश्वविद्यालय  तथा  महाविद्यालय को इकाई मानकर  आरक्षण आरक्षण जाता था जिसे ने परिवर्तित कर अब विभाग को इकाई मानकर  नियुक्ति करने का फरमान जारी किया है । इससे  इन सभी  संवर्गों का  उच्च शिक्षा में  भारत सरकार द्वारा दिए गए आरक्षित प्रतिशत (15%SC ,7.5% ST , 27% ओबीसी तथा 3% विकलांग ) से बहुत कम हो जाएगा।यह इसलिए होगा क्योंकि नई व्यवस्था के अंतर्गत विभागों में रिक्तियों की संख्या बहुत कम साधारणत: 4 या 5 ही होते हैं कम से कम 4 पद होने पर ओबीसी, 7 पद होने पर SC,...