विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सर्कुलर के विरुद्ध आंदोलन का आज 28 वा दिन।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ पर जारी अनशन का आज 28 वां दिन था।शोधकर्ताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार की एमएचआरडी मिनिस्ट्री धोखा कर रही है और उसने एसएलपी दायर करने की बात 10 दिन पहले ही कर दी थी। एसएलपी दायर भी हो गई ,किंतु आज तक न तो उसका डायरी नंबर मिला है न ही केस नंबर मिल पाया है,जिससे संबंधित मामले का स्टेटस देखा जा सके। जब भी छात्रों द्वारा केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाता है, या तो slp दायर करती है या रिव्यू कराती है जैसा कि SC ST atrocities के मामले में रिव्यू पिटीशन दायर की गई थी।किंतु अभी तक कुछ भी संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आया है ।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं रंजीत सरोज ने कहा कि वर्तमान सरकार के मंत्री अपने मुखिया की तरह ही जुमला फेंकने में माहिर हो गए हैं और आए दिन नया झूठ बोलते रहते हैं आज ही अखबारों के माध्यम से पता चला कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक ट्वीट के जरिए यह सूचना दी थी की आधार को मोबाइल नंबर से लिंक कराना जरूरी है यह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है किंतु जब सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाई कि मैंने तो ऐसी गाइडलाइन जारी ही नही की तो उनकी बोलती बंद हो गई। आपको बता दें यह वही रविशंकर प्रसाद हैं जिन्होंने पिछले दिनों ABP न्यूज़ के एक इंटरव्यू में यह कहा था की हम सुप्रीम कोर्ट के फार्मूले से सहमत नहीं है इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में UGC सर्कुलर के विरुद्ध एसएलपी दायर करेंगे, ध्यातव्य हो कि बहुत से मामलों में एसएलपी दायर की जा चुकी है किंतु वे फाइलें आज तक put-up तक नहीं हो पाई ,सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन या एसएलपी दायर करने की बात सुनकर बहुत से बुद्धिजीवी प्रोफेसर यह कहने लगे कि हमें सफलता मिल गई है और जल्द ही पुरानी व्यवस्था लागू हो जाएगी यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे लोग आंदोलन को मिस लीड कर रहे हैं जिससे कि आंदोलन समाप्त हो जाए किंतु ऐसा संभव नहीं है ।
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