प्रतियोगी छात्रों की आत्महत्या



ये भारत के भविष्य छात्रों क्यों करते हो आत्महत्या

तुम्हें क्या लगता ऐसा करके मिट जाती है समस्या

असफलता से ना घबराओ हिम्मत करके करो प्रयास

धैर्य, स्मरण, मन में लाओ पूरी होगी दिल की आस

घर वालों ने भेजा पढ़ने करके कुछ अरमान,भरोसा

अगर उन्हें सुख दे न सको तो क्यों देते हो निराशा

बुद्धि तुम्हारी कहां गयी थी ,क्यूं यह कदम उठाया

करके समाप्त यह मानव जीवन तुमने क्या है पाया

दुःख होता है हम जैसों को जब जब सुनते ऐसी बात

एक प्रतियोगी छात्र ने कर ली अपने हाथों अपनी मौत


रंजीत कुमार सरोज 
शोधार्थी , प्राचीन इतिहास विभाग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय..!!

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