यूजीसी सर्कुलर रोस्टर के विरुद्ध चल रहा आंदोलन 27 वे दिन भी जारी रहा।
अकादमी जस्टिस संयुक्त संघर्ष मुझे समिति के तत्वावधान में जारी क्रमिक अनशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन पर आज 27 वें दिन भी जारी रहा। शोध छात्रों में व्यापक आक्रोश दिखाई दे रहा है उनकी मांग है कि जिस प्रकार इंदिरा गांधी अनुसूचित जनजाति विश्वविद्यालय और साथ ही तीन अन्य विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया को होल्ड पर रखा गया है । उसी प्रकार इलाहाबाद विश्वविद्यालय को भी चाहिए कि वह अपने यहां नियुक्तियों की जारी प्रक्रिया पर रोक लगाएं क्योंकि मामला अभी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है , जब तक कोई निर्णय नहीं न हो जाता तब तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती पर रोक लगनी चाहिए साथ ही उन्होंने यह भी कहा की भर्ती प्रक्रिया में जो मानक अपनाया जा रहे हैं वह पारदर्शी नहीं है असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में जो मानक यूजीसी तय करता है उसमें केवल नेट पास ही योग्यता होती है किंतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपारदर्शी तरीके से एपीआई स्कोर बनाए जा रहे हैं जिसमें सेमिनार जर्नल पेपर आदि पर स्कोरिंग की जा रही है जो कि बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है। यह उपरोक्त स्कोरिंग के साधन किस प्रकार प्राप्त किए जाते हैं यह विश्वविद्यालय का कर्मचारी और प्रोफेसर अच्छी तरीके से जानता है बावजूद इसके इन्हीं को आधार मानकर चयन प्रक्रिया में उत्तीर्ण तथा अनुत्तीर्ण करना बिल्कुल भी न्याय संगत नहीं है।
विगत दिनों में इसी एपीआई स्कोर को आधार बनाकर विश्वविद्यालय से संबंध महाविद्यालयों में भी नियुक्तियां की गई हैं जिसमें बहुत ज्यादा दोषारोपण सामने आए हैं कोर्ट में भी केस लंबित हैं ।बावजूद इसके चयन कमेटी उसी माध्यम से पुनः एक बार प्रतियोगियों के साथ अन्याय करने में तुली हुई है और बहुत तेजी से चयन प्रक्रिया को पूरा करने में लगी हुई है । कुछ दिनों पहले मीडिया द्वारा यह खबर आयी कि सरकार ने उक्त मामले में एसएलपी दायर की है किंतु किसी मीडिया ने उस एसएलपी का नंबर नहीं बताया जिससे लोग केस का स्टेटस चेक कर सकें या अगली सुनवाई की तिथि जान सके। ऐसे में संदेह की स्थिति बनी हुई है और क्रमिक अनशन लगातार जारी है सरकार की मंशा यदि साफ है तो मीडिया के माध्यम से उसे आश्वस्त करना चाहिए और पारदर्शी तरीके से इस मामले को सबके सामने रखना चाहिए।
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