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Showing posts from May, 2018

UGC सर्कुलर रोस्टर के विरुद्ध 35 वें दिन भी जारी रहा क्रमिक अनशन।

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UGC के खिलाफ चल रहा आंदोलन जारी यूजीसी के विरुद्ध इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ भवन पर जारी क्रमिक अनशन आज 35 वें दिन भी जारी रहा UGC की तरफ से कोई आदेश न पारित होने की वजह से छात्रों में व्यापक आक्रोश बना हुआ है अभी हाल ही में 7 मई को छात्रों ने एक बार पुनः यूजीसी के सर्कुलर की प्रतियों को जलाया था । जबकि  एसएलपी पर  8 तारीख को सुनवाई होनी थी लेकिन अभी तक कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है कि सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई या नहीं हुई ।न कोई केस नंबर बताया गया है ऐसी स्थिति में आंदोलनकारियों में UGC और एमएचआरडी को लेकर भारी गुस्सा व्याप्त है ।इधर विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी कोई सूचना नहीं दी है जिसमें यह कहा गया हो की विश्वविद्यालय में होने वाला सहायक प्रोफेसर का इंटरव्यू रोक दिया गया है जैसा कि विगत दिनों सांसद विनोद सोनकर ने पत्र लिखकर कुलपति महोदय को सूचित किया था की तुरंत वैकेंसी को रोक दिया जाए क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है ऐसी स्थिति में इंटरव्यू कराना उचित नहीं होगा और यह कहीं ना कहीं सामाजिक न्याय के विरुद्ध तथा संविधान विरुद्ध होगा क्रमिक अनशन के नेत...

यूजीसी के सर्कुलर के विरुद्ध चल रहे क्रमिक अनशन के 30 वें दिन प्रोफेसरों और जन प्रतिनिधियों का मिला समर्थन।

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 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक छात्र संघ भवन पर क्रमिक अनशन का आज तीसवां दिन रहा जिसमें शोध छात्रों के साथ साथ प्रोफेसर भी शामिल दिखे। आपको बता दें कि यह क्रमिक अनशन 5 मार्च के यूजीसी सर्कुलर के विरुद्ध 5 अप्रैल से लगातार जारी है जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा संबंधित डिग्री कॉलेज  के छात्रों द्वारा प्राचीन इतिहास विभाग के शोध छात्र रंजीत कुमार सरोज के नेतृत्व में जारी है।उन्होंने बताया कि हमें लगातार छात्रों का समर्थन मिल रहा है विभिन्न विश्वविद्यालयों में चल रहे आंदोलन के सदस्यों के द्वारा भी बातचीत जारी है और जल्द ही इसका निर्णय माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जा सकता है । उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय के लगभग सभी बुद्धिजीवी प्रोफेसरों का सहयोग लगातार मिल रहा है और आगे की रणनीति कोर कमेटी द्वारा तय की जाएगी। कल माननीय सांसद कौशांबी श्री विनोद सोनकर ने शोध छात्रों के हित को देखते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति को एक लेटर भेजा है जिसमें उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर नियुक्ति प्रक्रिया को अविलंब रोकने की बात कही...

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सर्कुलर के विरुद्ध आंदोलन का आज 28 वा दिन।

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ पर जारी अनशन का आज 28 वां दिन था।शोधकर्ताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार की एमएचआरडी मिनिस्ट्री धोखा कर रही है और उसने एसएलपी दायर करने की बात 10 दिन पहले ही कर दी थी। एसएलपी दायर भी हो गई ,किंतु आज तक न तो उसका डायरी नंबर मिला है न ही केस नंबर मिल पाया है,जिससे  संबंधित मामले का स्टेटस देखा जा सके। जब भी छात्रों द्वारा केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाता है, या तो slp दायर करती है या रिव्यू कराती है जैसा कि SC ST atrocities  के मामले में रिव्यू पिटीशन दायर की गई थी।किंतु अभी तक कुछ भी संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आया है ।  आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं रंजीत सरोज ने कहा कि वर्तमान सरकार के मंत्री अपने मुखिया की तरह ही जुमला फेंकने में माहिर हो गए हैं और आए दिन नया झूठ बोलते रहते हैं आज ही अखबारों के माध्यम से पता चला कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक ट्वीट के जरिए यह सूचना दी थी की आधार को मोबाइल नंबर से लिंक कराना जरूरी है यह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है किंतु जब सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाई कि मैंने तो ऐसी गाइडलाइन जारी ही...

यूजीसी सर्कुलर रोस्टर के विरुद्ध चल रहा आंदोलन 27 वे दिन भी जारी रहा।

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अकादमी जस्टिस संयुक्त संघर्ष मुझे समिति के तत्वावधान में जारी क्रमिक अनशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन पर आज 27 वें दिन भी जारी रहा। शोध छात्रों में व्यापक आक्रोश दिखाई दे रहा है उनकी मांग है कि जिस प्रकार इंदिरा गांधी अनुसूचित जनजाति विश्वविद्यालय और साथ ही तीन अन्य विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया को होल्ड पर रखा गया है । उसी प्रकार इलाहाबाद विश्वविद्यालय को भी चाहिए कि वह अपने यहां नियुक्तियों की जारी प्रक्रिया पर रोक लगाएं क्योंकि मामला अभी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है , जब तक कोई निर्णय नहीं न हो जाता तब तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती पर रोक लगनी चाहिए साथ ही उन्होंने यह भी कहा की भर्ती प्रक्रिया में जो मानक अपनाया जा रहे हैं वह पारदर्शी नहीं है असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में जो मानक यूजीसी तय करता है उसमें केवल नेट पास ही योग्यता होती है किंतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपारदर्शी तरीके से एपीआई स्कोर बनाए जा रहे हैं जिसमें सेमिनार जर्नल पेपर आदि पर स्कोरिंग की जा रही है जो कि बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है। यह उपरोक्त स्कोरिंग के साध...